कोरोना के आधे ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें बीमारी तो है लेकिन कोई लक्षण नहीं- शोध

कोरोना के आधे ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें बीमारी तो है लेकिन कोई लक्षण नहीं- शोध

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए अब खौफ बन गया है। इसकी वजह से लोगों में डर बैठता चला जा रहा है। यह इसलिए क्योंकि इसको लेकर कई तरह की नई-नई बातें रोज सामने आ रही है जिससे लोगों को घबराहट हो रही है। वहीं अब एक बात ऩई सामने आई है, जिसमें ये कहा जा रहा है की कई ऐसे कोरोना के मरीज हैं जिनको कोविड-19 है लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं। यह स्थिति काफी भयावह है, क्योंकि बिना लक्षण के कोरोना संक्रमित मरीजों का पता नहीं चल पाएगा और इससे संक्रमण लगातार फैलता रहेगा।

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स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलैशन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने दुनिया में फैले कोविड-19 के 16 अलग-अलग समूहों से आंकड़ों को जुटाकर ये पता लगाने की कोशिश की कि जिन लोगों को कोरोना है और वो लोग यह नहीं जानते तो ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने की कितनी संभावनाएं हो जाती है। शोध ने परिणाम के तौर पर बताया कि ऐसे मामले न्यूनतम 30 फीसद और 40-45 फीसदी तक फैल रहे हैं।

किसी वायरस का बिना लक्षणों के फैलना बेहद खतरनाक हो सकता है। शोधकर्ताओं में शामिल डॉ एरिक तोपोल ने कहा कि कोरोना वायरस के इस तरह फैलने से इंफेक्शन की मात्रा बढ़ जाएगी और लोगों की निगरानी कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना पहले तबाही मचा गए वायरसों जैसा नहीं है, ये बहुत अलग और खतरनाक है।

डॉ तोपोल और उनके साथी डेनियल ओरन ने दुनियाभर में 16 ऐसे कोरोना समूहों के बारे में अध्ययन किया जो कोविड-19 के लिए टेस्ट किए जा चुके थे। शोध में पता चला कि आइसलैंड में 13,000 ऐसे लोग हैं जो स्वेच्छा से कोरोना संक्रमित हो गए। इन 16 समूह में डायमंड प्रिंसिस क्रूज के यात्री, बॉस्टन और लॉस एंजेलिस में बिना घर के रहने वाले लोग, जेल में बैठे कैदी, कॉलेज जाने वाले छात्र और किंग काउंटी के नर्सिंग होम निवासी शामिल हैं।

शोध में पता चलता है कि जिन मरीजों में लक्षण नहीं थे उनमें से कुछ ही ऐसे मरीज निकले जिनमें कुछ समय बाद कोरोना के लक्षण दिखने लगे। इस तरह ये शोध दो भागों में बंट गया, पहले भाग में वो मरीज जो कोरोना संक्रमित हैं लेकिन कुछ समय बाद कोरोना के लक्षण विकसित करते हैं और दूसरे भाग में वो मरीज जो कोरोना पॉजिटिव हैं लेकिन उनमें कोरोना का एक लक्षण नहीं है।

2,300 लोगों का सैपंल किया गया जिसमें 41 फीसदी मरीज ऐसे थे जो कोरोना पॉजिटिव तो निकले लेकिन 14 दिन के बाद उनमें लक्षण दिखाई दिए। डॉ तोपोल ने कहा कि इस शोध में एक और चिंता की बात है और वो ये कि ये वायरस शांति से उन मरीजों के शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है जिनमें लक्षण नहीं हैं। डायमंड प्रिंसिस क्रूज के 331 यात्री कोरोना संक्रमित थे लेकिन एक भी यात्री में कोविड-19 का कोई लक्षण नहीं था।

डॉ तोपोल ने कहा कि जिन लोगों में कोरोना होने के बाद भी लक्षण नहीं है, उनके फेफड़ों और शरीर के दूसरे भाग को ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने बताया कि सभी आंकड़ों को एक साथ रखने पर पता चलता है कि मास्क पहनना बेहद जरूरी है, इससे यह होगा कि कोरोना होने के बावजूद हम खुद को संक्रमण से बचा सकेंगे।

डॉ तोपोल के मुताबिक सरकारी स्वास्थ्य एजेंसियां सभी लोगों के सैंपल टेस्ट नहीं ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ मरीजों को कोरोना होने के बाद भी उनके बारे में नहीं पता चल रहा क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता तुलनात्मक अच्छी होगी। शोध से एक सवाल यह पैदा होता है जिन लोगों में कोरोना है लेकिन लक्षण नहीं, उनमें कोरोना का संक्रमण कब तक रहेगा। 

इस सवाल पर डॉ तोपोल का कहना है कि ऐसे मरीजों में कोरोना का संक्रमण रहने की आशंका 14 दिन है यानि कि ऐसे लोग 14 दिन संक्रमण फैला सकते हैं। अगर किसी भी देश की सरकार दोबारा दुकानें, मॉल्स या रेस्त्रां खोलती है तो इस तरह के मामले बढ़ने की संभावना और भी बढ़ जाएंगी। हालांकि लगातार मास्क पहनने भर से हम संक्रमण के खतरे को कुछ हद तक कम कर सकते हैं।

वायरस को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर ज्यादा से ज्यादा टेस्ट और सोशल डिस्टेंसिंग करवाई जा सकती है। स्वास्थ्य महकमे अपने यहां के लोगों को कोविड-19 को लेकर जागरुक करें और वायरस को फैलने से रोकने के लिए अलग-अलग कदम उठाएं।

 

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